शहीदों को भुलाया नही जा सकता
फूलों को माला में पिरोया जाता हैमोतियों को भी माला को सँजोया जाता है
देश पे मरने वाले शहीदों को
फूलो की माला और तिरंगे से सजाया जाता है
सूरज की रोशनी को मिटाया नही जा सकता
समंदर के पानी को घटाया नही जा सकता
देश मे जान निछावर करने वाले
शहीदों की कुर्बानी को भुलाया नही जाता
जिस तरह अपने देश को हम भूल नहीं सकते
सरहद में जो पहरेदार है उन्हें हम भूल नही सकते
जिन्होंने देश का नाम गौरवान्वित किया है
उन शहीदों को भी भूल नहीं सकते
हर देश की सेना देश के लिए जीती है
अपनी खुशियाँ औऱ परिवार को त्याग कर
जो निछावर कर देते हैं अपने प्राण
खुशी से देश के सरहदों पर
उन शहीदों को भुलाया नहीं जा सकता
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मेरे मन के आँगन में
मेरे मन के आँगन में तुम रोज सबेरे आते होमेरे दिल की धड़कन को छू कर यह एहसास दिलाते हो
तुम्हारे बिना मेरी जिंदगी जैसे अधूरी हो
तुम जो मेरी जिंदगी में आ जाओ मेरी जिंदगी सँवार जाते हो
तुम्हें अपनी किस्मत का कोहिनूर कहूँ मैं
तुम इतनी सुंदर हो कि तुम्हें हूर कहूँ मैं
तुम मेरी हो जाओ तो मेरी किस्मत चमक जाये
और तुम्हारे चमकते हुए चेहरे का नूर कहूँ मैं
तुमसे एक पल दूर रहने का अहसास डरता है
कैसे रह पाऊंगा तुम्हारे बिना यह अहसास मुझे सताता है
यारो प्यार में दूरियां होती नही है
दूरियों से जो डर जाये वो प्यार नहीं कहलाता है
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बेटी का खत -2
बेटी ने खत लिखा बापू कोबापू आपकी लाडली बेटी
आपसे मिलने को तड़पती रही है
अपने दिन रात मेहनत कर के
दहेज जमा कर मेरी शादी धूमधाम से की है
अपने मेरे लिए कोई कसर नहीं छोड़ा
घर और वर दोनों अच्छा ढूडा मेरे लिए
बेटी ने खत लिखा बापू को
ससुराल वाले मेरे लालची निकले
सास रोज ताना देती है
ससुर रोज उलाहना देते हैं
दहेज कम दिया है तुम्हारे पिता ने
ननद सहेली बन गयी हैं
पति भी नाराज रहते थे
लेकिन अब मेरा साथ देते है
बेटी ने खत लिखा बापू को
आपने जो मुझे संस्कार दिये हैं
मैं उनकी लाज रखूंगी
कुछ दिन में सास ससुर को भी अपना बना लुंगी
बेटी ने खत लिखा बापू को
बापू आपकी लाडली बेटी
आपसे मिलने को तरसती है
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बादल छाये
बादल छाये हुआ अंधकारबिजली कड़की हुआ चमत्कार
मयूर प्याहु प्याहु करने लगे
चिड़िया आकाश को छोड़ जमी उतरने लगी
पेड़ रह रह कर हिलने लगे
बादल दौड़ते रहे कभी यहाँ तो कभी वहाँ
पानी को ले कर आते रहे
मोर पंख फैलाकर नाचने लगे
बादल खुश होकर बारिश करने लगे
चिड़िया स्नान करने लगी
फसलें लहलहाने लगी
पेड़ पानी पाकर मुस्कुराने लगे
किसान खेतो में पानी जमा करने लगे
खुशिया लेकर बारिश आती है
जब बादल छाये
मेढ़क टर्र टर्र करने लगे
बादल गरजने लगे
टिड्डे नभ में मड़राने लगे
पशु पक्षियों दौड़ लगाने लगे
जब बादल छाये
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बेटी का खत
बेटी ने खत लिखा माँ कोनैन मेरे तरसते है आप से मिलने को
तड़पती हू गाँव की गलियों को देखने को
सखी सहेलियों सँग मेहदी लगाने को
मेरी स्वतंत्रता तो छीन चुकी हैं
इस लिए तड़पती रहती हूँ
बेटी ने खत लिखा माँ को
आपके आँचल की छांव में मुझे कोई तकलीफ नहीं हुईं
आपके ममता ने मुझे कोई काम नहीं करने दिया
आज पल भर मुझे आराम नही
फिर सोचती हूँ कि मेरा बचपन फिर मिल जाता
इस लिए तड़पती रहती हूं
बेटी ने खत लिखा मां को
माँ मुझे आराम चाहिए मुझे बुलालो अपने पास
कुछ दिन भाभियों सहेलियों सँग हँसना चाहती हूँ
तुम्हारे आँचल में फिर से सोना चाहती हूँ
अमरूद के बागों में फिर अमरूद तोड़ना चाहती हूँ
बेटी ने खत लिखा माँ को
सावन के झूलो में झूलना चाहती हूँ
सखियों सँग गीत गाना चाहती हूँ
स्वतंत्र होकर उड़ना चाहती हूँ
कुछ दिन अपने पास बुलालो
कुछ दिन आराम करना चाहतीं हो
बेटी ने खत लिखा माँ को
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तेरी मदमस्त आँखों मे
उसकी चढ़ती जवानी को छूने का दिल करता है,
मुझे ऐसा लगता हैं कि उसके जुल्फों के साये को,
अपना घर बनाने को मेरा ये दिल मचलता है,
मुझे उसका सहारा मिल जाये तो फिर क्या,
डूबती कस्ती को किनारा मिल जाये फिर क्या,
मैं तो जीने की आशाएँ छोड़ चुका था
मुझे तेरा सहारा मिल जाये तो फिर क्या,
कही कोई मुकद्दर की तसवीर लिखता है
प्यार करने वालों की तकदीर लिखता है
मेरी तकदीर में तू हो अगर
मेरे जीवन मे तुझको मेरी जागीर लिखता है
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जो नसीब में था नही
जो नसीब में था नही वो कैसे मैं पाऊंगायाचक बन कर माँगू तुमसे,
मन को तसल्ली दे पाऊंगा
कितने लोग आते हैं दर पे तेरे,
जो तुमने लिखा है वही मिल पाता है
फिर भी हर कोई तेरे दर में आता है
उसे फिर भी आस लगाए तुम्हारे दर पे
मैं बार बार आऊंगा।।
मैं मशहूर होना चाहता हूँ नाम तुम्हारा लेकर
मुझे मशहूर कर दो एक बरदान देकर
नसीब मेरा फिर लिख दो
जीवन मेरा सवर जाए
तेरे दर पे मैं आता हूं
किस्मत मेरी बदल जाये
जो नसीब में था नही वो कैसे मैं पाऊंगा
याचक बन कर माँगू तुमसे
मन को तसल्ली दे पाऊंगा
जो नसीब में था नहीं वो कैसे मैं पाऊंगा।।
दरिंदगी
उसे देखकर मेरी रूह कांप गई,
दरिंदे ने अपनी पत्नी को बेल्ट से मारा,
बोला गंगा घाट पर कसम खाई थी तूने,
बिना मुझसे पूंछे तू घर से न निकलेगी,
ओ औरत रो रो कर माफी मांगती है,
गलती हो गई बिना पूंछे बाजार नही जाऊँगी,
लात घूसे फिर भी मार रहा है,
हाँथ और शरीर में पड़ गए काले फफोले,
रो रो कर उसका बुरा हाल था,
छोटा बेटा यह देख रहा है,
उस बच्चे पर क्या प्रभाव पड़ेगा,
उसे इस का कोई मलाल नहीं है
बोल रहा है कपड़े उतार नही तो और मारूँगा,
जिसके साथ जिंदगी बिताने का वादा किया,
जिसके साथ रहने की सात कसमें खाई,
आज उसी को बेल्ट और डंडे से मार रहा है,
मेरा मानना ये है कि,
उस औरत से तुम्हारी पटती नहीं हो,
या उसका नेचर सही न हो,
पहले उस को समझना है,
फिर न माने तो तू अपने रास्ते मैं अपने रास्ते,
मारपीट करना एक दरिंदगी हुई,
यह हमारे देश के कानून में अपराध है,
किसी दरिन्दे ने वीडियो बनाया है,
और लिखा कि हर जगह भेजो,
जिससे उस औरत का पति पकड़ जाए,
वह भी तो पुलिस को खबर दे सकता था,
कुछ नहीं तो सौ नम्बर में फोन कर सकता था,
सबसे बड़ा अपराधी वीडियो बनाने वाला है,
पहले उसे पकड़ना चाहिए,
कानून के हाँथो में उसे जकड़ना चाहिए,
दोनों दरिन्दे को सजा देना चाहिए,।।
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कबूतर
स्वेत रंग के दो सुंदर पंक्षी,दोनों जोड़े में ही रहते,
सँग संगनी दाना चुगते,
सँग में दोनों गुटरगूँ करते,
लोग कबूतर कहते हैं इनको।।
एक पल दोनों दूर न हो पाते,
उड़ जाते वो नीलगगन को,
अपना घरौंदा भूल न पाते,
दूर दूर तक जाते है,
दाना चुग कर आते हैं,
कभी आकाश को छूते,
कभी जमीन पर आते,
अपनी जिंदगी खुशहाली से जी रहे थे,
एक दरिंदा बाज है आया,
कबूतर को मार गिराया,
कबूतर लहूलुहान गिरा,
कबूतरी का बुरा हाल हुआ,
कभी कबूतर को हिलती,
कभी फिर उड़ जाती,
फिर आती फिर उड़ हिलती,
कबूतरी का बुरा हाल हुआ,
कबूतर के बिरहा में उसने,
अपने प्राण भी त्याग दिया,
--------------------गूगल गूगल ढूढ रहा है,
अपने लिए एक लड़की।।
शादीडॉट कॉम में भी अप्लाई कर दी,
ऐसी हो एक लड़की।।
हाइट उसकी पाँच फुट चार इंच की हो,
गोरा रंग और सुंदर मुखड़ा।।
बाल हो उसके काले लम्बे,
वो लगे चाँद का टुकड़ा।।
पढ़ी लिखी हो बीए पास,
इंग्लिश में करती हो बात।।
गूगल गूगल ढूढ रहा है,
एक सुंदर सी लड़की।।
ट्यूटर में एकउन्ट खोला,
सायद कोई मिल जाये,
कई लड़कियों से फ़्रेण्डशिप भी की,
पर कोई पसंद नहीं आयी।।
गूगल गूगल ढूढ रहा है,
अपने लिए एक लड़की।।
फेसबुक पर लाइक करता है वो,
जो सुंदर फ़ोटो मिल जाये,
रात रात भर कॉमेंट्स है करता,
जब तक रिप्लाई आये,
जब पता चला वो लड़की नही है,
दिल फिर टूट गया है।।
गूगल गूगल ढूढ रहा है,
अपने लिए एक लड़की।।
व्हाट्सएप पर उसने कई ग्रुप है बनाये,
रोज सबेरे मैसेज है करता,
दस लोगों को फारवर्ड करो,
जल्दी तो सुंदर लड़की मिल जाये।।
गूगल गूगल ढूढ रहा है,
अपने लिए एक लड़की।।
गूगल गूगल-चरन सिंह
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सफेद चादर बर्फ की
ये धरा अपनी।।
प्रकृति ने संजोय हुए है रंगों की चादर,
हरा रंग है पेड़ पौधों की सोभा,
नीला रंग आसमान की शोभा।।
सफेद चादर से धरती सजती रहे।।
पेड़ो ने ओढ़ कर ठंडी सी चादर,
कपकपाते हुए आनन्द ले रहे है।।
रातों में जब चांदनी आ जाती है,
बर्फ़ीली वादियों में पड़ते ही रोशनी जगमगा जाती है।।
सीत का प्रकोप आता है,
हवाएं सर्द हो जाती है,
बर्फ बरसने लगती हैं।।
सफ़ेद चादर बिछ जाती हैं।।
पहाड़ियों में भी बर्फ की चादर बिछ जाती है।।
दूर दराजों से फिर ठंडी हवाओं का झोंका आता है।।
पेड़ पौधें हिल हिल कर,
अपने बर्फ को झाड़ते हैं।।
पेड़ो पर जब बर्फ है जमती,
क्रिसमस ट्री बन जाते हैं,
नदियों झीलों का पानी भी,
जमकर बर्फ बन जाता हैं।।
सफ़ेद चादर से सजी हुई है
ये धरा अपनी।।
सफ़ेद चादर बर्फ की-चरन सिंह
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जब तुमसे मेरी नजर मिली थी पहली बार
जब तुमसे मेरी नजर मिली थी पहली बार
तभी मुझे तुमसे हो गया था प्यार
फिर क्या था मैं तेरी तम्मना करने लगा
मैं करने लगा हर पल तेरा इंतजार | |
प्यार क्या होता हैं तब मुझे मालूम हुआ
जब तूने मुझे पहली बार छुआ
जब तूने मेरे हाथ में अपना हाथ रखा
मैं कांपने लगा जैसे मुझे आया हो बुखार | |
पर मैं क्या करूँ मेरे दिल में एक अंजान सा डर है
तू मुझसे दूर न हो जाये इस बात की मुझे फिकर हैं
इसी लिए नहीं कर पाया मैं तुझसे अपने प्यार का इजहार | |
फिर भी मैं तेरी आँखों में देखने की कोशिश करता हूँ
मौका मिलने पर तेरे आस-पास ही रहता हूँ
मैं नहीं तो तू ही सही शायद कर दे अपने प्यार का इजहार |
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रघुनंदन चंदन घिसते है
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उसने मेरी हसरतों को और बढाया हैं
उसने मेरी हसरतों को और बढाया हैं
जब उसने मेरे शिने पर अपना हाथ लगाया हैं
मैं चौक गया था उसकी इस हरकत से
जब उसने अचानक मुझे अपने गले लगाया हैं ||
मैं क्या करता यही सोच रहा था
ये क्या हो रहा हैं मेरे साथ
फिर उसने मुस्कुराकर मुझे अपने पास बुलाया हैं ||
बोली क्या हो गया,क्यों सहम गए हो तुम
क्या कभी किसी लड़की ने तुम्हे गले नहीं लगाया हैं ||
मै क्या जवाब देता,न मैं कुछ समझा न कुछ समझ आया है।।
अब मैं इसे क्या समझू, प्यार था या कुछ और
फिर उसने क्यों मुझे अपने गले लगाया हैं ||
अब क्या करूँ, यह सोच कर मैंने भी उसे गले लगाया हैं ||
उसके दो लफ्जो ने हमें फिर से मिलाया हैं ||
वो लफ्ज़ थे प्रेम के जिनको सुनकर मेरे जीवन मे एक भूचाल सा आया है।।
जिनको सुनने के खातिर मैं कब से तड़प रहा था
आज वो दिन न जाने कैसे अचानक आया है।।
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न करना मुझको इनकार प्रिये
न करना मुझको इनकार प्रिये
मैं करता हूँ तुझसे प्यार प्रिये
मैं करता हूँ तेरा इंतज़ार प्रिये
हाँ कर दे तू एक बार प्रिये।।
हे प्रिये तू मेरा जीवन है
हे प्रिये तू मेरा दर्पण है
अब तेरे ही कदमों में
मेरा ये जीवन अर्पण हैं।।
तू हाँ कर दे एक बार प्रिये।।
आ जाये मुझमें बहार प्रिये।।
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बेटी वो आर्शीवाद है
बेटी वो आशीर्वाद है
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वही दिन हैं वही रातें
वहीं दिन हैं वही रातें हैं
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तुम भी बढ़ो में भी बढूं
तुम भी बढ़ो मैं भी बढूं
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रात वो लम्हा है
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दुनिया मे सुखी कौन है
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मेरी जब उनसे पहली मुलाकात हुई
मेरी जब उनसे पहली मुलाकात हुई
मुझे ऐसा लगा कि आज बरसात हुई
न ही बादल थे न ही बारिश का मंजर था
लेकिन मेरे अंदर एक भरता हुआ समंदर था
उसकी लहरें कभी आती कभी जाती थी
उनके जाने का गम हमें क्यों सताती थी
ये कैसा हाल मेरा हो रहा था
ऐसे लग रहा था जैसे प्यार हो रहा था
मेरी साँसे से उनकी साँसे जब टकरा गई
तूफ़ान के साथ बारिस भी आ गई
कुछ पल के लिए हम एक दूसरे में खो गए
ऐसे लगा दो जिस्म एक जन हो गए
फिर एक पल में हमारी तन्हाई टूटी हो
ऐसे लगा हमारी किस्मत फिर से रूठी हो
फिर मैंने उसका हाथ थाम लिया
उम्र भर साथ निभाने का वादा किया
ऐसे लगा कि वो आज पहली बार मुस्कुराई है।।
जैसे आज फिर से बरसात आई हैं।।
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तुम एक बार हस दो

ऐ सनम जो तू हँस दे तो बहार आ जाये
मुझे तुम से फिर से प्यार हो जाये ।।
तू जो चलती हैं, तो बजती हैं तेरी पायल
मेरे दिल को वो तो करती है घायल
एक बार फिर से तू चल दे तो, वही खनकार आ जाये।।
ये हवाएं ये फिजायें क्यो लेती हैं तेरा नाम
तुझसे है क्या इन वादियों को काम
हर जगह है तेरी खुश्बू ,तू जो महके तो इत्र की खुमार आये।।
मुझे तू पसन्द हैं और तेरी हर एक अदा
मैं हुआ हूँ न जाने तुझपे क्यो फिदा
तेरी हर एक मुसकुराहट,अब मेरी मुस्कान बन जाये।।
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सच्चा दोस्त
कुछ ख़्वाईसे है
कुछ फरमाइशें हैं
कुछ चाहते हैं
कुछ आदतें हैं
ये सब पता होता है
एक सच्चे दोस्त को
क्या हमें चाहिये
क्या नही चाहिये
हर बात का ज़िक्र
हम करते हैं
एक सच्चे दोस्त से
दुख सुख में जो साथ देता है
गिरने से पहले जो थाम लेता हैं
गलत राह में जो जाने से रोके
जो साथ निभाने को शीने ठोके
वही सच्चा दोस्त होता है।।
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झाड़ूवाली
जब मैं वही काम करता हूँ ,तो मुझे ग्लानि होती हैं
जब वो वही काम करती हैं, तो मुझे परेशानी होती है।
वो औरतें है,काम करती हैं
हाँथो में चूड़ी,ओठो पर लाली
माथे पर बिंदिया, माँग पर सिंदूर
उन्हें अपने काम से कोई एतराज नही है
क्योंकि वह एक बेटी है,वह एक बहू है
वह एक पत्नी है,वह एक माँ हैं
उन्हें अपनो के लिये सड़क पर झाड़ू लगाने में कोई शर्म नही हैं
वो जब वही काम करते है, तो उन्हें ग्लानि होती हैं
जब वह यही काम करती है,तो उन्हें परेशानी होती हैं
ये फिदरत है मानव की ,न काम करने देते है,न ही करते है
मैं कई लोगों से उन काम वालियों के बारे में गलत बोलते सुना
यह सुनकर मेरे दिल को चोट लगी।।
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