25+हिंदी की नई और बेहतरीन कविताएं|aaj ke jamane ki kavitaye|hindi peatry----रक्षाबंधन रक्षाबंधन में मेरे भाई तुम आनाअपनी बहन का मान बढ़ाना ।।
मैं राखी बाँधू तुम्हारी कलाई हो
अपनी बहन को न तुम फिर रुलाना।।
हर बार कहते हो आऊँगा बहना
राखी तुम्ही से बंधाऊँगा बहना
जब तुम आना राखी बाँधना
अपनी बहन को हमेशा हँसाना।।
पिछले बरस मै थाली सजाये
थाली में मैं दीपक जलाये
हाथो में मेरे थी राखी तुम्हारी
राह ताकती रही मैं आस लगायें
भाई मेरे मुझको फिर न रुलाना।।
ठीक है बहना अबकी जरूर आऊँगा
अपनी बहन से राखी बंधाऊँगा
मेरा फर्ज है रक्षा तुम्हारी
खुश रहना मेरी बहना हमेसा
तुम अपने भाई को याद दिलाना ।।
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कविता क्या होती हैकविता क्या होती है
अपने मन की भाषा
कलम उठाया और लिखा जो
जीवन की अभिलाषा
सोच समझ कर जीवन को जो
कागज मे उतार दिया
सबसे ऊपर उठ कर उसने
औरों को सीख दिया
बैठ अकेले लिखता है वो
जीवन की एक कविता
जीवन के ऊंच नीच का मदभेद मिटा देता है
सच्ची कविता जो लिखता है सोच बदल देता है-------------वक्तवक्त आता हैं
वक्त जाता है
वक्त सम्भलता है
वक्त गिराता हैं।
वक्त सबसे बलवान है
वक्त सबसे महान है
वक्त की जो माँग हैं
वैसे ही ढल जाइये
वक्त अपने आप निकल जायेगा
वक्त गयी तो बात गयी
सिर्फ कहावतें राह जाएंगी------------सोच समझ का माली
काट रहा है जीवन
बेजुबान बेसमझ व्रक्ष
बाट रहे हैं जीवन
धूप है सहते ठण्ड हैं सहते
एक जगह पर स्थिर रहते
फिर भी न आये गलत बिचार
तूफानों से लड़कर
बारिस भी लाते हैं
मानव जीवन को हर बार बचाते हैं
मानव फिर भी इन पर चला रहा है आरी
रोकर हँसकर सह लेते हैं वार कुल्हाड़ी का
गर्मी आते ही कहते हम
व्रक्ष चला दो ठण्डी हवा
बीमारी की भी देते हमको दवा
भूख लगी तो हम फल भी का लेते हैं
प्यास लगे तो हम नारियल पानी पीते हैं
व्रक्ष को हम पानी भी न देते हैं
फिर भी न कोई शिकायत
न करते दुर्ब्यौहार
यही तो है व्रक्ष का बड़कपन
व्रक्ष लेते हैं पर्यावरण सुरक्षित का भार
हम काट रहे हैं उनको,जो हैं जीवन का आधर।।--------------नभ का शीना चीर रहे जो
अभिनन्दन कहलाहते है
दुश्मन के लड़ाकू विमानों को
जो मार गिरते हैं
अभिनन्दन कहलाहते हैं
दुश्मन की धरती से जो
वापस आ जाते हैं
अभिनन्दन कहलाहते है
जिनके खातिर देश पूरा
गम में डूब गया था
मन्दिर मस्तिष्क गुरुद्वारे में
सलामत की दुआ लगी थी
अभिनन्दन कहलाहते है
जिसने देश के खातिर
अपने कागजात निगल लिए थे
बचे कगजतो को
फिर भी नस्ट किये थे
अभिनन्दन कहलाहते है
पूरा देश जिसके आगे नतमस्तक है
अभिनन्दन कहलाते हैं-------------तम्बाकूतम्बाकू मत खाओ दोस्तों तम्बाकू
हथेली में ले कर,चुना मिलाकर
रगड़ रगड़ कर थपकी मारकर
मुँह में न डालो दोस्तों तम्बाकू
तम्बाकू मत खाओ दोस्तों तम्बाकू
तम्बाकू का नशा, सबसे बुरा नशा है
मुँह के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है
मुँह सड़ जाता है बदबू आने लगती है
तम्बाकू मत खाओ दोस्तों तम्बाकू
तम्बाकू लगती कड़वी है
चुना मसूड़े काटता है
दाँत हिलने लगेगें दोस्तो
तम्बाकू मत खाओ दोस्तों तम्बाकू
तम्बाकू खाकर समाज मे बात नही कर सकते
बार बार पीक थूकना पड़ता है
तम्बाकू खाने को मेरी यह नसीहत है
तम्बाकू को खाना दो छोड़
तम्बाकू के पैकेट में लिखा होता है
तम्बाकू सेहत के लिए हानिकारक है
आँखों की रोशनी कम हो जाती है
ज्यादा खाने वाले को नींद काम आती हैं
तम्बाकू मत खाओ दोस्तों तम्बाकू----------------देशी ठेका
भोर हुआ खुल गया देसी ठेका
रह रह कर लोग आने लगे
न मैं था गरीब न तू था अमीर
पीने वाले लोग पीने आने लगे
मतभेद अमीरी का सब भूल गये
छोटी बोतल देशी की एक घुट में मार गये
कोई पानी सँग कोई नीट पी रहा
कोई चखना कोई मीट चख रहा
बैठे बाहर ठेके के,भू तल पर
बना रहे है पैक सब मिल कर
कुछ बाते आपस मे करते हैं कुछ दीवारों से
कोई सुध में रहता है कोई बेसुध नाले में
कोई अपनो को गाली देता है कोई बेगानो को
कोई राह चलते लड़ जाता है खुद को यार संभलो
देसी पीने वाले को उसका सुख है मालूम
लेकिन दारू से कितने घर टूट जाते हैं ये सबको है मालूम
मैं यही कहूंगा पीने वालों से दारू से दूर रहे
पीते भी है तो कम पिये जिससे सेहत सही रहे।।-------------------कठिन परिश्रम
कठिन परिश्रम करना होगा,काँटो पर चलना होगा
छाँव से बाहर आकर,धूप में फिर जलना होगा
इज्जत की रोटी खाना है तो,मेहनत भी करना होगा
ईमानदार बनना है तो,सच्चाई पर चलना होगा
कठिन परिश्रम करना होगा,काँटो पर चलना होगा
मंजिल पाने की चाह हुई तो,कदम बढ़ाते रहना होगा
अगर तरक्की करनी है तो,जी भर कर पढ़ना होगा
कठिन परिश्रम करना होगा,काँटो पर चलना होगा
लालच बुरी बला है उसको हमको त्यागना होगा
मेहनत से जो मिलता जाए उसको ही अपनाना होगा
कठिन परिश्रम करना होगा,काँटो पर चलना होगा
------------------जनसंख्या
पेड़ पौधों को काट काट कर शहर बना डाला
जंगल को काट काट कर सुनसान बना डाला
न मिलती शुद्ध हवा है
न दिखती है हरियाली
खाद यूरिया डाल डाल कर जमीन को बेजान बना डाला
गाँव गाँव को शहर बना डाला
जंगल को काट काट कर सुनसान बना डाला
शहरों में दिखते जैसे कोई पेड़ नहीं
पार्को में जाते रहते सब लोग वहीं
शुद्ध हवा के लिए लगाते मास्क सभी
फिर भी सुद्ध हवा न मिल पाती है
जीने की इच्छा अब टूट ही जाती है
पेड़ पौधों को काट काट कर शहर बना डाला
जंगल कों काट काट कर सुनसान बना डाला
सायद हर समस्या जनसंख्या से होती है
जब जनता कम होगी आवश्कता कम होगी
जमीन कम लगेगी जंगल बचे रहेंगे
जीव जन्तु और नदियां सागर संग खड़े रहेगें
न कोई पेड़ कटेगा न कोई प्रदूषण बढ़ेगा
जनसंख्या कम जरूरत कम
सब कुछ रहेगा सीमित
पेड़ बचेंगें जमीन बचेंगे जंगल मे हरियाली
जीव जंतुओं बीच मिलेगी जीवन की खुशहाली---------------एक और दीप जलाये
आओ एक दीप जलाये
मन का संकल्प बढ़ाने को
कोरोना महामारी को
भारत से दूर भगाने को
संकल्प लिया हम सब ने
एकजुट होकर हमें लड़ना है
आज समय आया है ऐसा
घर में ही हमें रहना है
आओ एक फिर दीप जलाये
मन का उत्साह बढ़ाने को
एक दीप जो जल जाएगा
अंधकार मिट जाएगा
नया सबेरा जब आयेगा
खुशियों की राह दिखाने को
आओ एक दीप जलाये
मन का संकल्प बढ़ाने को
समय एक आया है ऐसा
देश हमारा बन्द हुआ
हर घर का मालिक
अपने ही घर मे बन्द हुआ
जो प्रलय आया है
तो मिलकर दूर भगाये
आओ एक दीप जलाये
मन का संकल्प बढ़ाने को----------
नैनो में जैसे जलधारा हैं मेरे
थोड़ा दर्द हुआ तुझको
छलक जाते हैं मेरे
नैनो में जैसे जलधारा है मेरे
तू जो मुझको बुलाती
मेरी आँखें चमक जाती है
तेरी आने की आहट
दिल मे खनक जाती है
तू जो जाने को कहती
नीर छलक जाते मेरे
नैनो में जैसे जलधारा है मेरे
तेरी एक तसवीर मेरी
आँखों मे बस गयी है
देखोगी क्या तुम नैनो में मेरे
नैनो में जैसे जलधारा है मेरे।।-----------
प्रज्वलित दीप की अग्नि से
कोरोना को जलाना हैं
कोरोना को भगाना हैं
प्रज्वलित दीप जलाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा
आज विश्व फैल गया है
एक महामारी का जाल
जन जन इससे लड़ रहा हैं
हो रहा बुरा हाल
हम सबको अब मिलाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा
इस बीमारी से कितने लोग
घर से बेघर हुए
राह पर कोई बैठा है
उन सबकी भूख मिटाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा
जो जहा पर रुका हुआ है
कोरोना से लड़ने के खातिर
उनका हौसला बढ़ाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा-------------------रंग में भंग मिला रहे सब
फागुन में जब होलीब्रज में भी कान्हा खेलेराधा संग में होलीखेल रहे सब मिल के रंगवाभिगो रहे सब चोली
कोई रहे अगुआ तो कोई गाये फगुआ
कोई बाटे भंगवा तो कोई पीसे भंगवा
होली में जब तक होता हुड़दंग
होली होली न होती
भाभी के डालो रंग साली के डालो
घर वाली के रंग डालो बाहर वाली के डालो
होली में सबको छूट होती
एक एक अंग में रंग लगा के
दारू पीकर के डीजे में फिर डान्स करत है
गिर गिर जात है कीचड़ में
अब होली अब होली में सब नसे में नाचे
ऐसी होती होली रे
बोलो होली है
---------------
आओ मिलकर दीप जलाये
हम सबका सम्मान बढ़ाये
अपनी अपनी जिम्मेदारी से
कोरोना को मार भगाये
आओ मिलकर दीप जलाये
प्रज्वलित दीप जब होगा तो
अंधकार मिट जाएगा
मानवता के दुश्मन का
विचार बदल कर आएगा
अपनी एक जिम्मेदारी को
घर मे रहकर सम्मान बढ़ाये
आओ मिलकर दीप जलाये
किसी ने हमको मौक़ा देकर
हमको एक सम्मान दिया
हमें जलाना हैं घर के बाहर
मानवता का एक दिया
कोरोना जैसी महामारी को
हम सब मिलकर मार भगाये
आओ मिलकर दीप जलाये
धर्म नही कहता हैं कि
मानवता को तुम पार करो
अपने ही भाई पर तुम
चुपके से फिर वार करो
आज समय आया है ऐसा
कोरोना को हम मार भगाये
आओ मिलकर दीप जलाये
जिसने हमसे यह आह्वान किया
उस महापुरुष की अभिलाषा को हम
अपनी अभिलाषा बनाये
जिस मिट्टी में जन्म लिया
उस मिट्टी का मान बढ़ाये
आओ मिलकर दीप जलाये------------
ये कैसा दिन है आया
जो नयी दिवाली आयी हैं
मन मे सबके डर था एक
फिर जो खुशहाली लायी हैं
जो नयी दिवाली आयी हैं
घर में हम सब बैठे हैं
कोरोना से सब लड़ने को
देश हमारा बन्द हुआ
कोरोना से बचने को
फिर एक आस आयी हैं
जो नयी दिवाली आयी है
हर घर के दरवाजे पर
लोगों ने दीप जलाया हैं
इस महामारी से लड़ने का
सबने संकल्प उठाया है
सबने मिलकर एक साथ दीप जलायी हैं
जो नयी दिवाली आयी हैं
हम न निकले घर से
न किसी से बात करें
दूरी बनाकर आपस मे कोरोना से दूर रहे
मिलकर हमने फिर एक कसम खायी हैं
जो नयी दिवाली आयी हैं-----------कुर्सी का है खेल निराला
अपनों को बेगाना कर डाला
प्रतिद्वंद्वी से भी गठबंधन करते
रिस्ते नाते तोड़ डाला
कुर्सी का है खेल निराला
एक दूसरे को नीचा दिखते हैं
जनता को बेवकूफ बनाते हैं
करते हैं लाखों का घोटाला
कुर्सी का है खेल निराला
राजनीति के खातिर दंगा होता है
कुर्सी के खातिर पंगा होता है
कुर्सी केलिए ईमान को भी बेच डाला
कुर्सी का है खेल निराला-------------
कुर्सी की करामत देखिए
इसकी औकात देखिए
न कोई इसका जाति धर्म है
न कोई असली मालिक
पाँच साल अपनाती है फिर दुत्कार है देती
पावर तो रहती है लेकिन सत्ता छीन लेती
कुर्सी की करामात देखिए
इसकी औकात देखिए
कुर्सी के खातिर रोज पार्टियाँ बनती है
गठबंधन भी होता है बन्धन भी होता है
झूठे वादों का खंडन भी होता है
सत्ता के खातिर वोट माँगी जाती है
कुर्सी पाकर नेता बन जाते हैं
हम पे ही हुक्म चलाते हैं
कुर्सी की करामात देखिए।।
अपनी बहन का मान बढ़ाना ।।
मैं राखी बाँधू तुम्हारी कलाई हो
अपनी बहन को न तुम फिर रुलाना।।
हर बार कहते हो आऊँगा बहना
राखी तुम्ही से बंधाऊँगा बहना
जब तुम आना राखी बाँधना
अपनी बहन को हमेशा हँसाना।।
पिछले बरस मै थाली सजाये
थाली में मैं दीपक जलाये
हाथो में मेरे थी राखी तुम्हारी
राह ताकती रही मैं आस लगायें
भाई मेरे मुझको फिर न रुलाना।।
ठीक है बहना अबकी जरूर आऊँगा
अपनी बहन से राखी बंधाऊँगा
मेरा फर्ज है रक्षा तुम्हारी
खुश रहना मेरी बहना हमेसा
तुम अपने भाई को याद दिलाना ।।
---------
अपने मन की भाषा
कलम उठाया और लिखा जो
जीवन की अभिलाषा
सोच समझ कर जीवन को जो
कागज मे उतार दिया
सबसे ऊपर उठ कर उसने
औरों को सीख दिया
बैठ अकेले लिखता है वो
जीवन की एक कविता
जीवन के ऊंच नीच का मदभेद मिटा देता है
सच्ची कविता जो लिखता है सोच बदल देता है
वक्त जाता है
वक्त सम्भलता है
वक्त गिराता हैं।
वक्त सबसे बलवान है
वक्त सबसे महान है
वक्त की जो माँग हैं
वैसे ही ढल जाइये
वक्त अपने आप निकल जायेगा
वक्त गयी तो बात गयी
सिर्फ कहावतें राह जाएंगी
काट रहा है जीवन
बेजुबान बेसमझ व्रक्ष
बाट रहे हैं जीवन
धूप है सहते ठण्ड हैं सहते
एक जगह पर स्थिर रहते
फिर भी न आये गलत बिचार
तूफानों से लड़कर
बारिस भी लाते हैं
मानव जीवन को हर बार बचाते हैं
मानव फिर भी इन पर चला रहा है आरी
रोकर हँसकर सह लेते हैं वार कुल्हाड़ी का
गर्मी आते ही कहते हम
व्रक्ष चला दो ठण्डी हवा
बीमारी की भी देते हमको दवा
भूख लगी तो हम फल भी का लेते हैं
प्यास लगे तो हम नारियल पानी पीते हैं
व्रक्ष को हम पानी भी न देते हैं
फिर भी न कोई शिकायत
न करते दुर्ब्यौहार
यही तो है व्रक्ष का बड़कपन
व्रक्ष लेते हैं पर्यावरण सुरक्षित का भार
हम काट रहे हैं उनको,जो हैं जीवन का आधर।।
अभिनन्दन कहलाहते है
दुश्मन के लड़ाकू विमानों को
जो मार गिरते हैं
अभिनन्दन कहलाहते हैं
दुश्मन की धरती से जो
वापस आ जाते हैं
अभिनन्दन कहलाहते है
जिनके खातिर देश पूरा
गम में डूब गया था
मन्दिर मस्तिष्क गुरुद्वारे में
सलामत की दुआ लगी थी
अभिनन्दन कहलाहते है
जिसने देश के खातिर
अपने कागजात निगल लिए थे
बचे कगजतो को
फिर भी नस्ट किये थे
अभिनन्दन कहलाहते है
पूरा देश जिसके आगे नतमस्तक है
अभिनन्दन कहलाते हैं
हथेली में ले कर,चुना मिलाकर
रगड़ रगड़ कर थपकी मारकर
मुँह में न डालो दोस्तों तम्बाकू
तम्बाकू मत खाओ दोस्तों तम्बाकू
तम्बाकू का नशा, सबसे बुरा नशा है
मुँह के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है
मुँह सड़ जाता है बदबू आने लगती है
तम्बाकू मत खाओ दोस्तों तम्बाकू
तम्बाकू लगती कड़वी है
चुना मसूड़े काटता है
दाँत हिलने लगेगें दोस्तो
तम्बाकू मत खाओ दोस्तों तम्बाकू
तम्बाकू खाकर समाज मे बात नही कर सकते
बार बार पीक थूकना पड़ता है
तम्बाकू खाने को मेरी यह नसीहत है
तम्बाकू को खाना दो छोड़
तम्बाकू के पैकेट में लिखा होता है
तम्बाकू सेहत के लिए हानिकारक है
आँखों की रोशनी कम हो जाती है
ज्यादा खाने वाले को नींद काम आती हैं
तम्बाकू मत खाओ दोस्तों तम्बाकू
रह रह कर लोग आने लगे
न मैं था गरीब न तू था अमीर
पीने वाले लोग पीने आने लगे
मतभेद अमीरी का सब भूल गये
छोटी बोतल देशी की एक घुट में मार गये
कोई पानी सँग कोई नीट पी रहा
कोई चखना कोई मीट चख रहा
बैठे बाहर ठेके के,भू तल पर
बना रहे है पैक सब मिल कर
कुछ बाते आपस मे करते हैं कुछ दीवारों से
कोई सुध में रहता है कोई बेसुध नाले में
कोई अपनो को गाली देता है कोई बेगानो को
कोई राह चलते लड़ जाता है खुद को यार संभलो
देसी पीने वाले को उसका सुख है मालूम
लेकिन दारू से कितने घर टूट जाते हैं ये सबको है मालूम
मैं यही कहूंगा पीने वालों से दारू से दूर रहे
पीते भी है तो कम पिये जिससे सेहत सही रहे।।
छाँव से बाहर आकर,धूप में फिर जलना होगा
इज्जत की रोटी खाना है तो,मेहनत भी करना होगा
ईमानदार बनना है तो,सच्चाई पर चलना होगा
कठिन परिश्रम करना होगा,काँटो पर चलना होगा
मंजिल पाने की चाह हुई तो,कदम बढ़ाते रहना होगा
अगर तरक्की करनी है तो,जी भर कर पढ़ना होगा
कठिन परिश्रम करना होगा,काँटो पर चलना होगा
लालच बुरी बला है उसको हमको त्यागना होगा
मेहनत से जो मिलता जाए उसको ही अपनाना होगा
कठिन परिश्रम करना होगा,काँटो पर चलना होगा
पेड़ पौधों को काट काट कर शहर बना डाला
जंगल को काट काट कर सुनसान बना डाला
न मिलती शुद्ध हवा है
न दिखती है हरियाली
खाद यूरिया डाल डाल कर जमीन को बेजान बना डाला
गाँव गाँव को शहर बना डाला
जंगल को काट काट कर सुनसान बना डाला
शहरों में दिखते जैसे कोई पेड़ नहीं
पार्को में जाते रहते सब लोग वहीं
शुद्ध हवा के लिए लगाते मास्क सभी
फिर भी सुद्ध हवा न मिल पाती है
जीने की इच्छा अब टूट ही जाती है
पेड़ पौधों को काट काट कर शहर बना डाला
जंगल कों काट काट कर सुनसान बना डाला
सायद हर समस्या जनसंख्या से होती है
जब जनता कम होगी आवश्कता कम होगी
जमीन कम लगेगी जंगल बचे रहेंगे
जीव जन्तु और नदियां सागर संग खड़े रहेगें
न कोई पेड़ कटेगा न कोई प्रदूषण बढ़ेगा
जनसंख्या कम जरूरत कम
सब कुछ रहेगा सीमित
पेड़ बचेंगें जमीन बचेंगे जंगल मे हरियाली
जीव जंतुओं बीच मिलेगी जीवन की खुशहाली
आओ एक दीप जलाये
मन का संकल्प बढ़ाने को
कोरोना महामारी को
भारत से दूर भगाने को
संकल्प लिया हम सब ने
एकजुट होकर हमें लड़ना है
आज समय आया है ऐसा
घर में ही हमें रहना है
आओ एक फिर दीप जलाये
मन का उत्साह बढ़ाने को
एक दीप जो जल जाएगा
अंधकार मिट जाएगा
नया सबेरा जब आयेगा
खुशियों की राह दिखाने को
आओ एक दीप जलाये
मन का संकल्प बढ़ाने को
समय एक आया है ऐसा
देश हमारा बन्द हुआ
हर घर का मालिक
अपने ही घर मे बन्द हुआ
जो प्रलय आया है
तो मिलकर दूर भगाये
आओ एक दीप जलाये
मन का संकल्प बढ़ाने को
नैनो में जैसे जलधारा हैं मेरे
थोड़ा दर्द हुआ तुझको
छलक जाते हैं मेरे
नैनो में जैसे जलधारा है मेरे
तू जो मुझको बुलाती
मेरी आँखें चमक जाती है
तेरी आने की आहट
दिल मे खनक जाती है
तू जो जाने को कहती
नीर छलक जाते मेरे
नैनो में जैसे जलधारा है मेरे
तेरी एक तसवीर मेरी
आँखों मे बस गयी है
देखोगी क्या तुम नैनो में मेरे
नैनो में जैसे जलधारा है मेरे।।
प्रज्वलित दीप की अग्नि से
कोरोना को जलाना हैं
कोरोना को भगाना हैं
प्रज्वलित दीप जलाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा
आज विश्व फैल गया है
एक महामारी का जाल
जन जन इससे लड़ रहा हैं
हो रहा बुरा हाल
हम सबको अब मिलाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा
इस बीमारी से कितने लोग
घर से बेघर हुए
राह पर कोई बैठा है
उन सबकी भूख मिटाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा
जो जहा पर रुका हुआ है
कोरोना से लड़ने के खातिर
उनका हौसला बढ़ाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा
कोई रहे अगुआ तो कोई गाये फगुआ
कोई बाटे भंगवा तो कोई पीसे भंगवा
होली में जब तक होता हुड़दंग
होली होली न होती
भाभी के डालो रंग साली के डालो
घर वाली के रंग डालो बाहर वाली के डालो
होली में सबको छूट होती
एक एक अंग में रंग लगा के
दारू पीकर के डीजे में फिर डान्स करत है
गिर गिर जात है कीचड़ में
अब होली अब होली में सब नसे में नाचे
ऐसी होती होली रे
बोलो होली है
---------------
आओ मिलकर दीप जलाये
हम सबका सम्मान बढ़ाये
अपनी अपनी जिम्मेदारी से
कोरोना को मार भगाये
आओ मिलकर दीप जलाये
प्रज्वलित दीप जब होगा तो
अंधकार मिट जाएगा
मानवता के दुश्मन का
विचार बदल कर आएगा
अपनी एक जिम्मेदारी को
घर मे रहकर सम्मान बढ़ाये
आओ मिलकर दीप जलाये
किसी ने हमको मौक़ा देकर
हमको एक सम्मान दिया
हमें जलाना हैं घर के बाहर
मानवता का एक दिया
कोरोना जैसी महामारी को
हम सब मिलकर मार भगाये
आओ मिलकर दीप जलाये
धर्म नही कहता हैं कि
मानवता को तुम पार करो
अपने ही भाई पर तुम
चुपके से फिर वार करो
आज समय आया है ऐसा
कोरोना को हम मार भगाये
आओ मिलकर दीप जलाये
जिसने हमसे यह आह्वान किया
उस महापुरुष की अभिलाषा को हम
अपनी अभिलाषा बनाये
जिस मिट्टी में जन्म लिया
उस मिट्टी का मान बढ़ाये
आओ मिलकर दीप जलाये
ये कैसा दिन है आया
जो नयी दिवाली आयी हैं
मन मे सबके डर था एक
फिर जो खुशहाली लायी हैं
जो नयी दिवाली आयी हैं
घर में हम सब बैठे हैं
कोरोना से सब लड़ने को
देश हमारा बन्द हुआ
कोरोना से बचने को
फिर एक आस आयी हैं
जो नयी दिवाली आयी है
हर घर के दरवाजे पर
लोगों ने दीप जलाया हैं
इस महामारी से लड़ने का
सबने संकल्प उठाया है
सबने मिलकर एक साथ दीप जलायी हैं
जो नयी दिवाली आयी हैं
हम न निकले घर से
न किसी से बात करें
दूरी बनाकर आपस मे कोरोना से दूर रहे
मिलकर हमने फिर एक कसम खायी हैं
जो नयी दिवाली आयी हैं
अपनों को बेगाना कर डाला
प्रतिद्वंद्वी से भी गठबंधन करते
रिस्ते नाते तोड़ डाला
कुर्सी का है खेल निराला
एक दूसरे को नीचा दिखते हैं
जनता को बेवकूफ बनाते हैं
करते हैं लाखों का घोटाला
कुर्सी का है खेल निराला
राजनीति के खातिर दंगा होता है
कुर्सी के खातिर पंगा होता है
कुर्सी केलिए ईमान को भी बेच डाला
कुर्सी का है खेल निराला
-----------------
कुर्सी
क्या क्या चाल चलाती है
कुर्सी के खातिर अपनो से लड़ती है
बेजुबान होकर भी क्या खेल दिखाती है
कुर्सी पाने के खातिर नेता राजनीति करते हैं
वादे कई करते हैं कुर्सी पाकर भूल जाते है
कुर्सी पाकर अपनो को भी ठुकराते है
कुर्सी बड़ी शातिर है
क्या क्या चाल चलाती है
कुर्सी एक ताकत है
नेताओं को गद्दार बनाती है
कुर्सी के खातिर मांग रहे हैं वोट
कुर्सी मिलजाये तो छाप रहे है नोट
कुर्सी की करामात देखिए
जनता को धोखा देती है
राजनीति की कुर्सी देश भक्ति हर लेती है
------------
होली
फागुन आया है होली बुला रही हैभाभियाँ बुला रही है होली आ गयी है
कोई फोन कर रही है कोई संदेश दे रही है
होली में आओगे रंग गुलाल लगाओ गे
होली आ गयी है होली बुला रही है
साली बुला रही है सरहज बुला रही है
मस्त मलंगे यारो की टोली बुला रही है
रंग बुला रहे हैं रंगोली बुला रही है
होली आ गयी है होली बुला रही हैं
होली जल गई है पकवान बन रहे है
मीठे मीठे पकवानों की सुगंध आ रही है
रंग लग रहे हैं गुलाल लग रहे है
होली आ गयी है होली बुला रही है
धूल उड़ा रहे हैं फगुआ गा रहे हैं
भाँग बन रही है भाँग छन रही है
मस्त मलंगे नाच गा रहे है
पकवान खा रहे है त्योहार मना रहे है
होली आ गयी है होली बुला रही है
पिचकारियां चल रही है रंग डाल रहे है
चेहरे रंग गये है कपड़े रंग गये है
भाभियों से रंग खेल रहे है
दोस्तों सँग मस्तियाँ कर रहे है
होली आ गयी है होली बुला रही है
----------------
हे ईश्वर
हे ईश्वर हमें इंसान बना दोछल कपट दुराचार मिटा दो
हे ईश्वर हमें इंसान बना दो
पाप हमसे हो न कभी
सब प्राणियों का सम्मान करें हम
बुराइयों से दूर रहे हम
ऐसा हमको ज्ञान दो
हे ईश्वर हमे इंसान बना दो
प्रकति का भी सम्मान करें
बड़ो का सत्कार करे
दीन दुखियों की सेवा में जीवन लगा दे
हे ईश्वर हमें इंसान बना दो
दुष्कर्म हमसे हो कभी न
कर्म हम हरदम करे
सत्मार्ग पर चलते रहे हम
है ईश्वर हमें इंसान बना दो
देश पर बलिदान हो जाये
देश की हम आन बचाये
धर्म जाती का कोई बंधन न होये
जिससे हम लड़ कर मरे
हे ईश्वर हमें इंसान बना दो
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ऐसा क्यो होता है मेरे देश में
ऐसा क्यों होता है मेरे देश मेयहाँ हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
कहलाते हैं सब भाई भाई
एक दूसरे की फिक्र करने वाले
मारपीट
मारपीट क्यो होती हैंमारपीट कोई हल नहीं
समझौता कर लेना चाहिए
हम इंसान हैं, समझदार हैं
हमें हिंसा मारपीट सोभा नहीं देता
जानवर तो लड़ते झगड़ते है
आपस मे प्यार भी करते हैं
इंसान इंसानियत को भुला दे तो इन्सान नहीं
मारपीट करे तो उस कोई हैवान नहीं
मारपीट के कारण बहुत है
उनसे बचना ही इंसानियत है
कोई गलती करे उसे समझाओ
यही तो इंसानियत है
उसको उकसाना हैवानियत है
मारपीट कोई हल नही
कुछ लोग नासमझ होते हैं
मारपीट और दूसरों से लड़ने में मजा आता है
उनसे उलझने की जरूरत ही क्या है
मारपीट कोई हल नहीं
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25+हिंदी की नई और बेहतरीन कविताएं|aaj ke jamane ki kavitaye|hindi peatry|
कोरोना
कोरोना कोरोना अब जाओ ना
हमने तुम पर लिख दिया एक गीत
लोग तुमसे हो रहे है भयभीत
जहा तुम्हारा घर है
वही घर बसाओ ना
तुम अपने घर से बाहर आओ ना
कोरोना कोरोना अब जाओ ना
बहुत दिन तुम घूम लिए देश विदेश
अब जाओ फिर से अपने देश
कोरोना तुम क्यो इतनी बड़ी बीमारी बनकर आये हो
तुमसे सारा विश्व घबराया हो
लॉक डाउन में सब लोग हो गए परेशान
तुम घूम रहे हो सबके सामने खुले आम
हम मास्क लगाकर तुमसे बचने की कोशिश करते
हर घण्टे हाँथ साबुन से धोते रहते
कोरोना कोरोना मान जाओ ना
अपने देश को तुम फिर जाओ ना
हम घर से निकल नही पाते
घर मे रहकर हो गए हैं बोर
तुमने आतंक मचाया घनघोर
अब तो हमारी बात मान जाओ ना
कोरोना कोरोना अपने घर जाओ ना
कितने लोगों को मारा अपने प्रकोप से
अब टी शान्त हो जाओ ना
कोरोना कोरोना अपने घर जाओ ना
क्यों तुम इतने निष्ठुर हो कर बैठे हो
कौन तुमसे नही डरता हैं
जब सब लोग तुमसे डरते है
अब अपना डर हमे दिखाओ ना
कोरोना कोरोना अपने घर जाओ ना
तुम्हारा एक और भी नाम हैं
Covid 19 से भी तुम जाने जाते हो
Covid 19 को भी सब लोग जान गये
Covid 19 अब तो मन जाओ ना
कोरोना कोरोना अपने घर जाओ ना
काम-काम न आराम
ये कैसा जीवन हैं राम
दिन भर करना पड़ता हैं काम
थक कर बदन टूटता है
कितना करें और काम ।।हे राम
सुबह से लेकर शाम
हर दिन रहता काम
हे राम हे राम हे राम
जीवन बड़ा कठिन हैं
हर दिन करना है काम ।।हे राम
न कोई सहारा होता है
न कोई हमारा होता हैं
जब किया न कोई काम ।। हे राम
एक तू ही सहारा है
एक तू ही हमारा हैं
जपते रहो राम राम राम ।।हे राम
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Ram nam| राम नाम
Ram nam| राम नाम
राम नाम विख्यात हैंराम नाम गुणवान हैं
जो कोई लेता राम का नाम
उसका जीवन पार हैं
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