हिंदी की सबसे लेटेस्ट कवितायें|best poetry in hindi|aajkalnews

हिंदी की सबसे लेटेस्ट कविताएं|best poetry in hindi|aajkalnews

----------
मानव कहलाता हूँ

न मैं धारा सा बहता हूँ

न मै तारा सा रहता हूँ

न चमक मेरी है सूरज सी

न महक मेरी है फूलों सी

फिर भी मैं मानव कहलाता हूँ

व्रक्षो सा न फल मैं देता

नदियों सा न जल मैं देता

धरती सा न भार है मुझ पर

पर्वत सा न प्यार है मुझ पर

फिर भी मैं मानव कहलाता हूँ

जीवों से बढ़कर जीव हूँ मैं

जानवर से बढ़कर इंसान हूँ मैं

इस दुनिया की सारी काया में मैं ही मैं समाया हूँ

इसीलिए इस धरती में मै मानव कहलाता हूँ।।


----------

वीर

जब तलवार खिंचे तो रक्त चढ़े
जब शेर चले  तो गर्जन हो
जब वीर उठे तो मर्दन हो।।

जग वीर की गर्जन से काँपे
गज भी पीछे को भागे
शेर भी अपना सिंहासन छोड़े
पर वीर न अपना रास्ता मोड़े।।

तलवार म्यान से निकल पड़ी
दुश्मन के शीने से प्यास बुझी
दुश्मन ने जब दम तोड़ दिया
वीर तभी तो मुस्काया हैं

जब तलवार खिंचे तो रक्त चढ़े
जब शेर तो चले तो गरजन हो
जब वीर उठे तो मर्दन हो

वीरो की एक बात निराली
वह जान से खेला करते हैं
वो आन से जीते रहते है।
वो शान से मरना चाहते है

पर उन्हें शीश झुकना पसन्द नही
उन्हें आँसू बहाना पसन्द नही
मातृभूमि के रक्षा में शिर कट जाये
पर झुकें नही

जब ललकार दिया वीरो ने
दुश्मन रण को छोड़ दिया
अब औकात हैं क्या इस दुश्मन की
जो हमकों फिर से छेड़ सके

जब तलवार खिंचे तो रक्त चढ़े
जब नाड बजे तो गर्जन हो
जब वीर उठे तो मर्दन हो
------------
न आँख लड़ी,न बात बढ़ी

न आँख लड़ी
न बात बढ़ी
फिर मेरा दिल क्यो तड़प गया
मन मचल गया
आँख चमक गयी
जब तेरी एक झलक मिली
न प्यार हुआ
न करार हुआ
फिर मेरा दिल क्यो तड़प गया
न चाह जगी
न आग लगी
फिर मेरा दिल क्यो तड़प गया
जब तू है दिखी
न नजर मिली
फिर मेरा दिल क्यो तड़प गया
बस तेरी एक मुस्कान ने
तेरी आँखों की पहचान ने
मेरे दिल मे वार किया
फिर मेरा दिल क्यो तड़प गया
तेरी पलके झुकी
मेरी पलके झुकी
फिर मेरा दिल क्यो तड़प गया
जब तुमने कहा
मुझे प्यार हुआ
फिर मेरा दिल क्यो तेदेपा गया
मुझे ऐसा लगा
मुझे प्यार हुआ
इसलिए मेरा दिल तड़प गया
---------
ऐ प्रीत मेरी



ऐ प्रीत मेरी
मैं गीत तुझी पे लिखता हूँ
जब खन खन करता सावन बरसे
सावन के उन बूंदों का
संगीत तुझी पर लिखता हूँ

बादल के घन घोर नाद से
जब तेरा तन सिमट गया
मेरे मन मे एक आस जगी
जब तेरा पल्लू  खिशक गया
तेरी सुंदरता का मैं फिर से
संगीत तुझी पर लिखता हूँ

ऐ प्रीत मेरी
मैं गीत तुझी पे लिखता हूँ

जब झूम  कर चली हवाएं
तेरी जुल्फों को उड़ाती हैं
बसन्त की हरियाली 
जब तेरे मन को भाती हैं
हरियाली को देख तेरा
जब मन फिर से खिलता हैं

ऐ प्रीत मेरी
मैं गीत तुझी पे लिखता हूँ

जब खन खन करती तेरी पायल
मेरे मन  को भाती हैं
बार बार जब तेरे आने की आहट 
मेरे मन मे बस जाती हैं
मैं तेरे लिए क्यु गीत गाने लगता हूँ

ये प्रीत मेरी
मैं गीत तुझी पे लिखता हूँ

------------
                  ऐ प्रीत मेरी/चरन सिंह


न आँसू बहे न पीर गयी

न आँसू बहे न पीर गयी
एक शीने पर तीर गयी
तब दिल मेरा एक आह भरा
जब तेरे नैनो की तीर गयी
न आँसू बहे न पीर गयी

क्या छल था तेरी बातों में
जो मेरी आँखों मे नीर भरा
जो दिल को मेरे चीर गयी
न आँसू बहे न पीर गयी

क्या मैंने सपना देखा था
तुझको अपना देखा था
तूने मुझको ठुकरा करके
मेरे सपने तोड़ गयी
न आँसू बहे न पीर गयी

जब क्या होता हैं कोई अपना
अपने को धोखा देता हैं।
साहिल पर आते ही लहरे
बीच समंदर में खीच गयी
न आँसू बहे न पीर गयी
----------
मुहब्बत

सज धज के मुहब्बत निकली है
आशिक़ों दिल पे छुरिया चलाने को
मुहब्बत का काम ही है ऐसा
अपने चाहने वाले को तड़पने को

न जाने क्या खास होता है
इनकी आंखों के आइने
जिसमें चाहता है आशिक़
अपनी एक झलक पाने को

सज धज के मुहब्बत निकली है
आशिक़ों दिल पे छुरिया चलाने को

आशिक़ अपनी मुहब्बत के 
घर के फेरे देता रहता है
एक बार देखते ही
उसका मन लगता है मुस्कुराने को

सज धज के मुहब्बत निकली है
आशिक़ों दिल पे छुरिया चलाने को।।

----------

जीत हार

न जीत की है पहचान मुझे
न हार की है अनुमान मुझे
क्या दो मालाये होती है
जो अपना पहचान बताती है
ऐसी माला पहना दो मुझे
जिससे मिल जाये सम्मान मुझे ।।

मैं राजनीति में उतर रहा
हर घर गलियों में बिचर रहा
नत मस्तक होकर बड़े भाव से
वोटों को मैं माँग रहा
आज मुझे फिर हार जीत का
अनुमान लगाना होगा
अपना सम्मान बढ़ाने के खातिर
कूछ काम दिखाना होगा ।।

राजनीति है एक गलियारा
जहाँ धन सम्मान मिलेगा
जनता को जब हम भूलेंगे
जनता फिर से जागेगी
किसी के माथे जीत सजेगी
किसी की हाँथ हार लगेगी
न जीत की है पहचान मुझे
न हार की है अनुमान मुझे ।।
------------
हे बजरंग बली
बोलो बजरंग बली हनुमानजी की जय
जिन भक्तों ने बजरंग बली की महिमा जग में गाया है
बजरंग बली जी उनका हरदम नैया पार लगाया है
जिन भक्तों ने बजरंग बली जी पर लाल सिंदूर चढ़ाया है
बजरंग बली जी उनका हरदम नैया पार लगाया है

राम राम जो रटते है वो है मेरे बजरंग बली
राम नाम के धुन में रहते वो मैं मेरे बजरंग बली
एक बार मे जिसने सागर में पार लगाया है
राम नाम जो लेकर के लँका में आग लगाया है
नाम लिया जो प्रभू राम का सीता का पता लगाया है
जिन भक्तों ने बजरंग बली जी की महिमा जग में गाया है
बजरंग बली जी उनका हरदम बेड़ा पार लगाया है

नाग फास में जब फसे थे प्रभू राम और लक्ष्मण भाई
संजीवनी के लिये हनुमान ने पर्वत लेकर आये
अहि रावण महि रावण ने जब राम लखन को पाताल ले गए
बजरंग बली जी ने राम लखन की खोज किये
जिन भक्तों ने बजरंग बली जी पर लाल सिंदूर चढ़ाया है
बजरंग बली जी उनका हरदम नैया पार लगाया है

---------
जय गणेश देवा
जय जय जय हो गणेश देवा
तुम हो विघ्न हर्ता गणेश देवा
जय जय जय हो गणेश देवा
तुम्हारी शक्ति है सबसे निराली
तुम्हारी पूजा है सबसे आली
तुम हो सती के बेटे गणेश देवा
जय जय जय हो गणेश देवा
तुम्हारी शरण मे जो आता है
दुख संकट मिट जाता है
तुम हो शिव के बेटे गणेश देवा
जय जय जय हो गणेश देवा
रिद्धि सिद्धि तुम्हारे संग में बिराजे
मूसक जी का वाहन साजे
एक दन्त तुम दया वंत हो
लोग कहते है तुम्हें गणपति देवा
जय जय जय हो गणेश देवा
----------

हमें लक्ष्मी चाहिये

हमें लक्ष्मी चाहिए
लक्ष्मी मतलब धन दौलत और मनी चाहिए
हमें लक्ष्मी चाहिए

लक्ष्मी जिसके पास आती हैं
उसकी सोयी किस्मत जाग जाती हैं
ऐसी किस्मत मेरी भी होनी चाहिए
हमें लक्ष्मी चाहिए

घर घर मे लक्ष्मी की पूजा होती है
लक्ष्मी के कई रूप माने जाते हैं
किसी को सोना चाँदी किसी को पैसा चाहिए
हमें लक्ष्मी चाहिए

धन दौलत की देवी को लक्ष्मी कहते हैं
आज की लक्ष्मी लोग पैसे को कहते हैं
हमें पैसा चाहिए
हमें लक्ष्मी चाहिए


लक्ष्मी में कई रंग रूप हैं
किसी को सोना चांदी
किसी को पैसा चाहिए
हमें लक्ष्मी चाहिए
लक्ष्मी के खातिर आज गुनाह भी होते हैं
भाई भाई में बटवारा चाहिए
ये मेरी दौलत है मुझे चाहिए
हमें लक्ष्मी चाहिए
---------
कर्म
वक्त गर साथ हो तो हर मुश्किल को आसान बना देते हैं
कर्म  ही है जो हर इंसान की पहचान बना देते हैं
लोग जिस पर भरोसा करते हैं
चाहे तो पत्थर को भी भगवान बना देते हैं

जो कर्म को अपना धर्म समझते हैं वही आगे बढ़ते हैं
जो धर्म की आड़ में लोगों को गुमराह करते हैं
एक दिन गड्ढे में स्वयं ही गिरते हैं

गर नाम कमाना है तो देश हित का काम करो
सैनिकों से दुश्मन से लड़ो
आपस मे लड़ना बुरी बात है
लड़ना ही है तो सरहद पर दुश्मन से लाडो

काम नही है जिसके पास
उसको करना है कई प्रयास
एक दिन सफलता मिल जाएगी
फिर किस्मत साथ निभायेगी
--------
जल है तो कल है
जल है तो कल है
जल है तो जीवन
जल ही है पावन
जल ही है दर्पण
जल ही है निर्मल
जल ही हैं गंगाजल
जल ही से पक्षी
जल ही से पौधे
जल है तो जीवन
जल ही से धरती
जल से है बादल
जल से समुंदर
जल से है नदियाँ
जल से हिमालय
जल है तो कल हैं
जल से है जीवन
जल को बचाओ जीवन बचेगा
जल के बिना जीवन नहीं बचेगा
दोस्तों जल बचाओ,तब कल बचेगा
-----------
तिरंगावाली
मैले कुचैले कपड़े तन पर
बूढ़े तन की काया
बिखरे बाल स्यामल रंग
वो शान्ति की छाया
हाँथो में तिरंगे की झोली लेकर
तिरंगा बेच रही थीं वो
कोई गाड़ी आये कोई पैदल आये
सभी से बोल रही थी वो
तिरंगा ले लो भईया,तिरंगा ले लो भइया
किसी बेवकूफ ने उसे डांट दिया
और उसका तिरंगा हाँथ से गिर गया
उस औरत ने तिरंगा उठाया 
शीने से लगाया,माथे पे लगाया 
उसको तिरंगे की इज्ज़त हैं प्यारी
इस लिए वह कहलायी तिरंगा वाली
फिर वो तिरंगों के लेकर चल दिया
अपने काम पर लग गयी
तिरंगा की तरह ही उसका दिल लहरा गया
उसको तिरंगा की इज्ज़त है आती
इस लिए वह तिरंगा वाली कहलाती
---------
हम तुम्हें पाना चाहें
हम तुम्हें पाना चाहे
ऐसी क्या खूबी हैं तुममें,तुमको चुराना चाहे
हम तुम्हें पाना चाहें
कितनो को देखा है हमने, दिल में कोई बसी नहीं
पर जबसे देखा है तुमको,दिल से तुम गयी नहीं
तुममें ऐसी क्या है खूबी,तुमको अपना बनाना चाहे
हम तुम्हें पाना चाहे
सुना है मैंने लोगों से,एक तसवीर है होती दिल के लिए
एक दफा जो बस गई दिल मे,उसको न मिटाना चाहे
अपने दिल के खाली कोने तुमको बसाना चाहें
हम तुम्हें पाना चाहें
एक झलक के खातिर तेरा पीछा करते हैं
दिन में भी खुली आँखों से तेरा सपना बुनते है
हर समय बस तुझसे बातें करना चाहे
हम तुम्हें पाना चाहें
---------
पलकें झुका दिये

मुझको वो देखकर पलके झुका दिये
पलके झुका के वो न जाने क्यों मुस्कुरा दिये
वो दूर से मुझे ही देखती हैं
पास आकर के नजरे गिरा दिये
मुझको वो देखकर पलकें झुका दिये
पलकें झुका के वो न जाने क्यों मुस्कुरा दिये

मेरे पास आकर के कुछ कहना चाहती है
आती है धीरे धीरे ठहरना चाहती है
प्यार के वो लव्ज़ बोलकर निकल गयी
जाते जाते वो मेरी धड़कन बढ़ा दिये
मुझको वो देखकर पलकें झुका दिये
पलके झुका के वो न जाने क्यों मुस्कुरा दिये

आज मुझको उसकी बहुत याद आ रही है
वो न दिख रही तो मेरी जान जा रही है
उसके लिए ये मेरा दिल तड़प रहा है
रब से उसको माँगा वो मिला दिये
मुझको वो देखकर पलकें झुका दिए
पलकें झुका के वो न जाने क्यो मुस्कुरा दिये
------------
अपाहिज मजदूर
एक पैर से है अपाहिज
वह है बुजुर्ग मजदूर
कर्म के प्रति है वफादार
झाड़ू पोछा कचड़े को फेकना काम है उसका
हर मुसाफिर से पानी पीने को पूछना आराम है उसका
दिनभर काम  अपने धुन में करना
कोई अच्छा बोले कोई बुरा सब सहना
दो सौ रुपये दिन की मजदूरी करना
उसे सायद भाता हैं
रोज समय पर अपनी ड्यूटी पर आता है
रोज सुबह से शाम तक काम करता है
ड्यूटी पर वो न आराम करता हैं
रूखा सूखा जो मिला उसे कहा लिया
पानी पीकर वह दिन बिता लिया
एक दिन उसके लिये आफ़त आ गयी
ठेकेदार ने उसको काम से निकाल दिया
वह विकलांग बुजुर्ग मजदूर का सहारा टूट गया
पसीने से सारा शरीर भीग गया
पागलो की तरह बेचैन हो गया
सभी कर्मचारियों के पास जाकर मुझे न निकालो कहने लगा
पर कोई एक बात न सुनी
वो बेसहारा हो कर जमीन पर बैठ गया
दो तीन दिन फिर न दिखा
फिर एक दिन आया खुशहाल था
बोला समय जो करता है वह ठीक ही होता हैं
एक सहारा टूटता है तो दूसरा मिल ही जाता है
----------
तूफान
अगर तूफान आये तो नहीं दिखता कोई मंजर
सबसे बड़े सुनामी का घर बन गया हैं समुंदर
तुफानो ने तोड़कर रख दिया घर मेरा
बिखरना ही लिखा था मेरे साझे का मुकद्दर

सम्भलू कैसे अपने असहाय मुकद्दर को
तुफानो के इस सबसे बड़े समंदर को
कठिन है काम ये इतना बिखर ही जाता है
लहरों का काम ही हैं इनका आना जाना होता हैं

मेरे जीवन मे तुफानो का आना जाना होता है
कभी सुख कभी दुख का बहाना होता है
इनसे कैसे निपटु परेशान रहता हूँ
कभी रोटी मिलती है कभी पानी पीकर बिताना होता हैं
-----------
आग लगी मेरे तन में
आग लगी मेरे तन में जो सुख गया है यार
मैंने मांगा था रब से उस लड़की का प्यार

तड़प रहा हूँ हरपल उसकी चाहत में
सुख गया मेरा तन उसकी चाहत में
मिलने का किया था वादा फिर जाने कहा गयी
न वो आयी न उसकी आयी कोई खबर
आग लगी मेरे तन में जो सूख गया हैं यार
मैंने मांगा था रब से उस लड़की का प्यार

उसकी चाहत में मैं पल पल मरता हूँ
उसके बिना मैं कैसे रहता हूँ
ये मेरा ही दिल जाने,और जाने मेरा प्यार
आग लगी मेरे तन में जो सूख गया है यार
मैंने मांगा था रब से उस लड़की का प्यार

पहली नजर में मुझको उससे प्यार हुआ
वो बन जाये मेरी माँगी रब से यही दुआ
दो पल की वो खुशिया दिल टूट गया अब यार
न जाने कहा गयी मिल न सका मेर प्यार
आग लगी मेरे तन में जो सुख गया है यार
मैन मांगा था रब से उस लड़की का प्यार
------------
तुझे बदनाम करू


तुझे बदनाम करू ऐसा खयाल आता है
फिर सोचकर ऐसा मेरा दिल तड़प जाता है
तुझे बदनाम करु
क्यू मेरे दिल मे ऐसी चाह जगी
ये मुझे समझ मे नही आता हैं
तुझे बदनाम करू ऐसा खयाल आता है
फिर सोचकर ऐसा मेरा दिल तड़प जाता हैं
तुझे बदनाम करू
तेरी बेवफाई ने ऐसी उम्मीद जगाई है
तुजे बदनाम करू तो मेरे प्यार की रुसवाई है
तुझे बदनाम करू ऐसा खयाल आता है
फिर सोचकर इस मेरा दिल तड़प जाता है
तुझे बदनाम करू
मैंने तो तुझे दिल से यार चाहा था
पर क्या कमी दिखी तुझे जो मुझे छोड़ दिया
तुझे बदनाम करू इस खयाल आता है
फिर सोचकर मेरा दिल तड़प जाता हैं
तुझे बदनाम करू
इस मैं काम करू तेरी जग हसाई हो
तेरे बारे ने कहूँ जिससे तेरी रुसवाई हो
फिर सोच कर दिल तड़प जाता हैं
तुझे बदनाम करू
----------
आज मेरी आँखों ने

आज मेरी आँखों ने मुझपे सितम ढाया है
आज बहता है मेरे आँखो से पानी
इस दिन तुझे देखते ही इनमें चमक आई थी
आज तू न दिखी तो ये मुरझाई हुई हैं
आज मेरी आँखों ने मुझपे सितम ढाया हैं
आज बहता है मेरे आँखो से पानी
तूने सपनो में मेरे आकर के इनको बहुत सताया है
तेरी इन मखमली जुल्फों ने मेरे दिल मे घर बनाया हैं
आज मेरी आँखों ने मुझपे सितम ढाया हैं
आज बहता है मेरे आँखो से पानी
तेरी झील सी आँखो में जो मैंने देखा अपना चेहरा
तेरे चेहरे ने मुझे पागल बनाया हैं
आज मेरी आँखों ने मुझपे सितम ढाया हैं
आह बहता है मेरे आँखो से पानी
तु जो हस कर मुझसे बात करती हैं
जाते समय जो मुस्कुराया हैं
आज मेरी आँखो ने मुझपे सितम ढाया है
आज बहता है मेरे आँखो से पानी

-----------

लाचार

कड़क धूप में निकल पड़ा वो बिन पग जूते कुछ पैसा और कामने को
नन्हा बालक माँग रहा दे दो साहब कुछ रुपये भूख मिटाने को
तन दुर्बल हैं मन मे आशाएं हैं लेकिन वह लाचार हैं
उसे जरूरत पैसो की उसकी माँ बहुत बीमार हैं
एक सहारा माँ थी उसकी आज सहारा बनेगा वो
माँ के खातिर माँग रहा वो लगा है पैसा जुटाने को
कड़क धूप में निकल पड़ावो बिन पग जूते कुछ और कमाने को

तप रही हैं धरती लेकिन उसके पाँव जले नही
निकल पड़ा जिस राह में वो उसके पाँव रुके नही
सोच रहा मेहनत करके कुछ पैसा कमाऊंगा
माँ की दवाई लेकर चैन से फिर सो जाऊँगा
मेहनत के दो सौ रुपये, उसने देखा अपनी उस कमाई को
कड़क धूप में निकल पड़ा वो, बिन पग जूते कुछ पैसा और कमाने को।

भूख से उसका पेट दब रहा पानी पीकर चैन लिया
लालच थी कुछ खाने की पर उसने रहने दिया
मन मुरझाया तन कमजोर पेट ने फिर दर्द किया
लेकिन सोचा जो पैसे से कुछ खाऊंगा उसको रहा बचाने को
कड़क धूप में निकल पड़ा वो, बिन पग जूते कुछ पैसा और कमाने को।

पैसा पैसा जोड़ कर उसने माँ का इलाज किया
मां के खातिर नन्हा बालक क्या क्या काम किया
माँ जब ठीक हुई उसकी तो खुशी दिखा चेहरे में
कोई कसर न छोड़ा था माँ का इलाज कराने में
कड़क धूप में निकल पड़ा वो, बिन पग जूते कुछ पैसा और कमाने को।

-----------

 गर्मी

गर्मी आयी बेचैनी लायी

मकच्छरो ने किया बुराहाल
हुई घमोडी खुजली छायी
पसीने से हुआ बदन तर
मकच्छर काट रहे रात भर
पंखे की हवा भी नही भाती है
बिजली काट कर अब आती हैं
सुबह से ही धूप गर्म लगती है
कपड़े कम पहने तो शर्म लगती है
दिन में लू बहुत चलती है
रात मे पत्ते भी नही हिलते हैं
गर्मी में मकच्छर दानी लगाना जरूरी है
सावधानी न बरतें तो बीमारियों का आना भी जरूरी है
दाद खाज खुजली और घमोडीयाँ होने लगती है
दोपहर में धरती भी जलने लगती हैं
पानी की प्यास बढ़ जाती है
बर्फ कुल्फी आइसक्रीम  याद आती हैं
गर्मी से बचना बहुत जरूरी हैं
लस्सी पुदीना ठंठा पानी पीना बहुत जरूरी है।।
----------

इश्क

इश्क क्या करें हम,कोई मिला नही
देख जिसे मेरे दिल का कमल खिले,ऐसा मिला नही
इश्क क्या करें हम,कोई मिली नही

देखा बहुत लड़कियों को जिससे दिल लगा लू
कोशिश बहुत की है कोई पटी नहीं
इश्क क्या करें हम,कोई मिली नही

हमे जो कोई चाहे ऐसी मिली नहीं
हमने जिसे चाहा कही और चली गईं
इश्क क्या करें हम,कोई मिली नही

दिल खूबसूरत लड़की चाहता है
मेरी किस्मत में कोई लिखी नही
इश्क क्या करें हम,कोई मिलीनही

किसी की आँखों मे डूबने को दिल चाहता है
कोई नीली नैनो वाली हमकों मिली नहीं
इश्क क्या करें हम,कोई मिली नही।।
----------

नीरस जीवन

नीरस जीवन की गाथा को प्यार का रस मिल जाये
प्रेम कहानी जीवन की अमर प्रेम बन जाये
छुप छुप मिलना बातें करना ये है प्रेम कहानी
एक तोता एक मैना की है यही जिंदगानी
नीरस जीवन जीता था मैं होकर अनजान
जीवन का आनन्द मिला जब मिला मुझे सम्मान
ऐसा जीवन क्या जीना जिसमें कोई पहचान न हो
कर जाओ तुम ऐसा काम हर जगह तुम्हें सम्मान मिले
जीवन जीने में मजा तभी,जब सुंदर बाला साथ मे हो
घर ग्रहथी खुशहाल चले तो जीवन में आनन्द मिले
लोग हजारों जीते हैं,उनकी कोई पहचान नहीं
प्यार जो तुमको मिल जाये, सारा जग पहचान गया
नीरस जीवन की गाथा को प्यार का रस मिल जाये
प्रेम कहानी जीवन की अमर प्रेम बन जाये।।
-----––--

मैं भ्रम में था

मैं भ्रम में था,वो मुझे चाहती हैं
उस नारी की माया जाल में फंसता चला गया
मुझे मालूम था कुछ गलत हो रहा है
फिर भी उसकी सुंदरता में मैं डूबता चला गया
मैं भ्रम में था,वो मुझे चाहती हैं
उस नारी की माया जल में फंसता चला गया

उसकी जुल्फ के साये ने मुझको जकड़ लिया
उसकी चंचल निग़ाहों ने मुझको पकड़ लिया
उसकी हर एक अदा मुझको पागल बना दिया
मैं भ्रम में था,वो मुझे चाहती है
उस नारी की माया जाल में फंसता चला गया

अपनी मीठी बोली से मुझको फंसा लिया
अपना क़ातिल नजरों से अपना दीवाना बना लिया
जब पास बुलाया उसने मुझको मैं हँसता चला गया
मैं भ्रम में था,वो मुझे चाहती है
उस नारी की माया जाल में फंसता चला गया

हर नारी की आंखों में एक प्यारा जादू है
आँखो से कर के इशारा जादू दिखा गयी
ऐसा पासा फेका की मैं फसता चला गया
मैं भ्रम में था,वो मुझे चाहती है
उस नारी की माया जल में फंसता चला गया

उसकी नीली आँखो में मुझे पानी दिखता हैं
उसकी हर बातों में नादानी दिखती हैं
उसने अपने भोलेपन में मैं फँसता चला गया
मैं भ्रम में था,वो मुझे चाहती है
उस नारी की माया जल में फंसता चला गया।।
------------

वक्त

वक़्त की दरकार देखिए
वक्त की पुकार देखिए
वक़्त चाहता है क्या हमसे
वैसे तुम ढल कर देखिए

वक़्त कभी ठुहरता है
वक़्त कभी अपनाता है
जैसा वक्त आये
वक़्त को अपना कर देखिए

वक़्त एक बार ही आता हैं
वक़्त एक बार ही जाता हैं
फिर नहीं मिलेगा ऐसा वक़्त
वक़्त मिला कर देखिए

Post a Comment

Previous Post Next Post