हिंदी की बेहतरीन कविताएं।सबसे अच्छी कविताएं।
ईर्ष्या
सबके मन मे पनपती है
ईर्ष्या से न राजा न रंक बचा
ईर्ष्या से न साधु न सन्त बचा
एक दूसरे से क्यो करते हैं ईर्ष्या
कोई किसी की तरक्की पर
अच्छाई पर करते हैं ईर्ष्या
कोई धर्म पर तो कोई जाति
राजनीति पर करते हैं ईर्ष्या
कोई राज्य पर तो कोई देश पर करते हैं ईर्ष्या
कोई ईमानदार पर तो कोई बेईमान से ईर्ष्या करता है
कोई तो मेरे देश से भी ईर्ष्या करता है
ईर्ष्या करके अपना खून जलाते हैं
ईर्ष्या करके सबसे दुश्मनी बढ़ाते हैं
ईर्ष्या दुष्कर्म करती हैं
ईर्ष्या मनुष्य की प्रबति है
लेकिन ईर्ष्या को पीना सीखो
ईर्ष्या से बचना सीखो
मनुष्य वहीं परिपूर्ण है
जो ईर्ष्या पे काबू है पाया
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जो बीत गए हैं पल
आने वाले पल एहसास दिला जाते हैं
जब न मिली थीं तू मुझको, मुझे किसी की परवाह न थी
जीत था मस्ती में ,मुझे किसी की चाह न थी
वो पल याद दिला जाते हैं
जो बीत गये है पल याद मुझे आते हैं
घूम रहा था जग में,बेसुध बेपरवाह
आज मुझे होती है बस तेरी परवाह
बीते पलो में थी जीवन की रँगीन यादें
आने वाले पल एहसास दिला जाते हैं
जो बीत गये है पल याद मुझे आते हैं
बचपन खेला मस्ती में,न थी कोई जिम्मेदारी
बड़ा हुआ तो मिल गई मुझको मेरी जिम्मेदारी
बचपन की यादों के पल मुझे याद आते हैं
जो बीत गए हैं पल याद मुझे आते हैं
आने वाले पल एहसास दिल जाते हैं
जेब में दस रुपये होते थे बचा बचा कर खर्च किया
आज होते हैं हजार रुपये फिर भी न बच पाये
समय वही जो बीत गया हम सह लेते थे
आने वाले पल को कैसे सम्भले गे
जो बीत गये है पल याद मुझे आते हैं
आने वाले पल एहसास दिला जाते है
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मधुशाला का आशिक़
जब तक तेरा आशिक़ था
मधुशाला को छुआ नही
तूने मुझको ठुकराया
मैं मधुशाला को अपनाया
मधुशाला को पीकर मैं नभ में उड़ने लगता हूँ
धरती में आकर मैं तांडव करने लगता हूँ
मैं जाता हूँ मैखाने में
पीने मधु की एक प्याला
मधुशाला मुझको लगती हैं
अमृत रस का एक प्याला
लड़की और मधुशाला में मैंने एक अंतर देखा है
लडकी धोखा देती है
मधुशाला अपना लेती हैं
मदिरा का एक प्याला
मुझको अपना आशिक़ बना डाला
मैं आशिक़ हूँ मधुशाला का
जब तक मैं मधुशाला का एक घुट पिया नही
मुझको ऐसा लगता है, मैं ने जीवन जिया नही
मैं आशिक़ हूँ मधुशाला का
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तुमने भेजी है जो अपनी तसवीर
जैसे चलाया हो मेरे दिल में तीर
तुम्हें पता है,मैं आशिक़ सुंदरता का
तुमने भेजी है सुंदर तसवीर
जैसे चलाया मेरे दिल मे तीर
तसवीर में तूम मुस्कुराती हो
मेरे दी में आग लगती हो
क्यो कुदरत ने सवांरा है
तुम सबसे मुझको प्यारा है
तू जो मुझको दिख जाती है
मेरे दिल मे तीर सी लग जाती हैं
न देखूं जो तुझको बेचैनी होने लगती हैं
राह तकू मैं तेरा,तेरी एक झलक पाने को
पास मेरे तू आकर,आज इशारा दी है
नजर झुक कर उसने,फिर से इशारा की है
उसने इशारा करके दिल में चलाई तीर
तुमने भेंजी है जो अपनी तसवीर
जैसे चलाया हो मेरे दिल में तीर
तसवीर तुम्हारी मैं हर पल देखा करता हूं
छुपकर चुपके से तेरे ओंठो को चूमा करता हूं
इस लगता है कि तूने भी मुझको चूमा है
मुझे तो तू अपनी तसवीर में मिल जाती है
तुमने भेजी है जो अपनी तसवीर
जैसे चलाया मेरे दिल मर तीर
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तुमने मुझे चाहा ही नहीं
क्यों ढोग किया था दो पल का
मैंने अपने अन्तर्मन के बोलो को,जब शब्दों में लिख डाला
वो मेरी कविता बन बैठी,मैं उसका लिखने वाला
ऊँच नीच और भले बुरे का जो मुझको पहचान हुई
जो जैसा मुझको महसूस हुआ,उसको वैसा लिख डाला
दुख सुख और अमीरी गरीबी को ,मैंने आँखो से देखा है
सुख दुख साथ नही रह सकते, एक आता दूजा है जाता
अमीर गरीब को नौकर है माने ये है सबकी अभिलाषा
मुझको जैसा महसूस हुआ, उसको मैंने लिख डाला
मैं देख रहा हूँ किसानों की दुर्गति बढ़ती जाती है
राजनीति के मालिक की,किस्मत संवरती जाती है
सब अपनी अपनी देख रहे,किसानों को न कोई देखने वाला
मुझको जैसा महसूस हुआ, उसको मैंने वैसा लिख डाला
धन दौलत में भाई भाई आपस मे लड़ जाते हैं
न धन दौलत ले जायेगे सँग में अपने
ले जाएंगे सँग में अपने अच्छाई और भाई चारा
मुझको जैसा महसूस हुआ, उसको मैंने लिख डाला
दारू पीकर गिरते पड़ते,कभी लड़खड़ा जाते हैं
कभी मारपीट करते ,कभी गली बकते रह जाते हैं
न दारू जाऐगी सँग में उनके,न दारू की प्यारी प्याला
मुझको जैसा महसूस हुआ, उसको मैंने लिख डाला
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जीवन जीने की सबको आशा है
जीवन की ये एक परिभाषा है
कोई दुख को सहता है
कोई सुख में रहता है
सुख पाने की सबको आशा है
जीवन की ये परिभाषा है
कोई रोना न चाहे जीवन में
मेहनत न करना चाहे जीवन में
खुशहाली पाने की सबको आशा है
जीवन की ये परिभाषा है
पढ़ लिख कर इंसान बने
कुछ पढ़े लिखे हैवान बने
इंसान न कोई बनना चाहे
इंसानियत को अपनाने की सबको आशा हैं
जीवन की ये परिभाषा है
अच्छाई बुराई दो पहलू है जीवन के
बुरा तो हर कोई होता है
अच्छाई कोई कोई अपनाता है
जीवन की ये परिभाषा है
जाति धर्म अपवाद बन गया
लड़ाई दंगों का घर बन गया
मेरा धर्म सबसे बड़ा है ये सबको आशा है
जीवन की ये परिभाषा है
तुम गंगा जल सी पावन हो
तुम जमुना जल सी मनभावन हो
तुम सबसे मुझको प्यारी हो
तुम मेरे इश्क की एक बीमारी हो
तुम चाँद से सुंदर लगती हो
तुम सूरज सा चमकती हो
तुमको न मैं पाना चाहूं
फिर भी तुम मुझको ही मिलती हो
तुम ख्वाब बानी मेरी नींदों में
तुम चैन मेरा तो छीना है
तुम पलको में मेरी आती हो
तुमने छीना मेरे जीना है
भेजी तुमने तसवीर जो अपनी
दिल में चुभन कर जाती है
हर पल मेरे सामने
तसवीर तुम्हारी ही आती हैं
मैं क्या करूँ मुझे ये पता नहीं
मैं क्या सोचूँ मुझे ये पता नहीं
मैं तुमको भुलाऊँ मुझे पता नही
ये प्यार है क्या मुझे पता नहीं
तुम पर कोई दाग न लग जाये
तुम पर कोई आँच न आ जाये
ये सोच के मैं फिर डरता हूँ
इजहार करू जो मैं तुमसे
कहि तू मुझसे रूठ न जाये
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आशिक़ बनाया आपने
मेरा दिल सिर्फ आपसे बातें करता था
दिल की धड़कन जगाया आपने
मुझे सिर्फ अपनी फिक्र थीं
आज तुम्हारी होती हैं
मुझ पर जादू चलाया आपने
उस दिन जब तुमने मुझसे इजहार किया
मेरा खाना पीना सोना सब छीन लिया
मेरी बेचैनी को जगाया आपने
मैं तुम्हें कुछ और मानता था
कुछ और मनाया आपने
अब कहती हो तुम खुश रहना
मुझसे अब न बातें करना
मेरी खुशियाँ छीना आपने
मैं कभी तुम्हें याद भी नही करता था
मेरी यादें जगाया आपने
मैं पहले गुमनाम सा था
मुझे मसहूर बनाया आपने
मैं तुमको फोन न करता था
पहले फोन लगाया आपने
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गुरु
मधुशाला को छुआ नही
तूने मुझको ठुकराया
मैं मधुशाला को अपनाया
मधुशाला को पीकर मैं नभ में उड़ने लगता हूँ
धरती में आकर मैं तांडव करने लगता हूँ
मैं जाता हूँ मैखाने में
पीने मधु की एक प्याला
मधुशाला मुझको लगती हैं
अमृत रस का एक प्याला
लड़की और मधुशाला में मैंने एक अंतर देखा है
लडकी धोखा देती है
मधुशाला अपना लेती हैं
मदिरा का एक प्याला
मुझको अपना आशिक़ बना डाला
मैं आशिक़ हूँ मधुशाला का
जब तक मैं मधुशाला का एक घुट पिया नही
मुझको ऐसा लगता है, मैं ने जीवन जिया नही
मैं आशिक़ हूँ मधुशाला का
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तुमने भेजी है अपनी तसवीर
जैसे चलाया हो मेरे दिल में तीर
तुम्हें पता है,मैं आशिक़ सुंदरता का
तुमने भेजी है सुंदर तसवीर
जैसे चलाया मेरे दिल मे तीर
तसवीर में तूम मुस्कुराती हो
मेरे दी में आग लगती हो
क्यो कुदरत ने सवांरा है
तुम सबसे मुझको प्यारा है
तू जो मुझको दिख जाती है
मेरे दिल मे तीर सी लग जाती हैं
न देखूं जो तुझको बेचैनी होने लगती हैं
राह तकू मैं तेरा,तेरी एक झलक पाने को
पास मेरे तू आकर,आज इशारा दी है
नजर झुक कर उसने,फिर से इशारा की है
उसने इशारा करके दिल में चलाई तीर
तुमने भेंजी है जो अपनी तसवीर
जैसे चलाया हो मेरे दिल में तीर
तसवीर तुम्हारी मैं हर पल देखा करता हूं
छुपकर चुपके से तेरे ओंठो को चूमा करता हूं
इस लगता है कि तूने भी मुझको चूमा है
मुझे तो तू अपनी तसवीर में मिल जाती है
तुमने भेजी है जो अपनी तसवीर
जैसे चलाया मेरे दिल मर तीर
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तुमने मुझे चाहा ही नही
क्यों ढोग किया था दो पल का
तेरी आदत है क्यो धोखा देना
इसमें तुझको क्या मिलता हैं
मेरे जैसा आशिक़ हरपल मरता रहता है
तूने मुझे चाहा ही नहीं
क्यो ढोंग किया था दो पल का ।।
कितनी मासूम तुम लगती हो
कितनी प्यारी दिखती हो
कितनी नादानी तेरे अंदर है
तुम उतनी ही सुंदर लगती हो
अपनी सुंदरता से तूने मुझको लुटा है
तुमने मुझे चाहा ही नहीं
क्यो ढोंग किया था दो पल का
उम्मीदो को मेरे क्यो तोड़ा
जो निभा न सकोगी वो रिश्ता क्यो जोड़ा
जो तुम्हें कहलाये बेवफ़ा
तुमने ऐसा काम किया ही क्यू
इसमें तुझको क्या मिलता हैं
मेरे जैसा आशिक़ हरपल मरता रहता है
तूने मुझे चाहा ही नहीं
क्यो ढोंग किया था दो पल का ।।
कितनी मासूम तुम लगती हो
कितनी प्यारी दिखती हो
कितनी नादानी तेरे अंदर है
तुम उतनी ही सुंदर लगती हो
अपनी सुंदरता से तूने मुझको लुटा है
तुमने मुझे चाहा ही नहीं
क्यो ढोंग किया था दो पल का
उम्मीदो को मेरे क्यो तोड़ा
जो निभा न सकोगी वो रिश्ता क्यो जोड़ा
जो तुम्हें कहलाये बेवफ़ा
तुमने ऐसा काम किया ही क्यू
तुमने मुझको अपना दिल दिया ही क्यू
तुमने मुझे चाहा ही नहीं
क्यो ढोंग किया था दो पल का
तुमने मुझे चाहा ही नहीं
क्यो ढोंग किया था दो पल का
किसी का दिल तोड़ना
किसी का साथ छोड़ना
तुमको शायद अच्छा लगता हो
पर ये तुम्हारी नादानी हैं
एक दिन तुमको प्यार का मतलब समझ मे आएगा
तब तुमको कोई न अपनाएगा
तब तुम रोओगी और कहोगी
मैंने तुम्हें चाहा ही नही
क्यो ढोंग किया था दो पल का
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मुझको जैसा महसूस हुआ
वो मेरी कविता बन बैठी,मैं उसका लिखने वाला
ऊँच नीच और भले बुरे का जो मुझको पहचान हुई
जो जैसा मुझको महसूस हुआ,उसको वैसा लिख डाला
दुख सुख और अमीरी गरीबी को ,मैंने आँखो से देखा है
सुख दुख साथ नही रह सकते, एक आता दूजा है जाता
अमीर गरीब को नौकर है माने ये है सबकी अभिलाषा
मुझको जैसा महसूस हुआ, उसको मैंने लिख डाला
मैं देख रहा हूँ किसानों की दुर्गति बढ़ती जाती है
राजनीति के मालिक की,किस्मत संवरती जाती है
सब अपनी अपनी देख रहे,किसानों को न कोई देखने वाला
मुझको जैसा महसूस हुआ, उसको मैंने वैसा लिख डाला
धन दौलत में भाई भाई आपस मे लड़ जाते हैं
न धन दौलत ले जायेगे सँग में अपने
ले जाएंगे सँग में अपने अच्छाई और भाई चारा
मुझको जैसा महसूस हुआ, उसको मैंने लिख डाला
दारू पीकर गिरते पड़ते,कभी लड़खड़ा जाते हैं
कभी मारपीट करते ,कभी गली बकते रह जाते हैं
न दारू जाऐगी सँग में उनके,न दारू की प्यारी प्याला
मुझको जैसा महसूस हुआ, उसको मैंने लिख डाला
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जीवन की ये एक परिभाषा है
कोई दुख को सहता है
कोई सुख में रहता है
सुख पाने की सबको आशा है
जीवन की ये परिभाषा है
कोई रोना न चाहे जीवन में
मेहनत न करना चाहे जीवन में
खुशहाली पाने की सबको आशा है
जीवन की ये परिभाषा है
पढ़ लिख कर इंसान बने
कुछ पढ़े लिखे हैवान बने
इंसान न कोई बनना चाहे
इंसानियत को अपनाने की सबको आशा हैं
जीवन की ये परिभाषा है
अच्छाई बुराई दो पहलू है जीवन के
बुरा तो हर कोई होता है
अच्छाई कोई कोई अपनाता है
जीवन की ये परिभाषा है
जाति धर्म अपवाद बन गया
लड़ाई दंगों का घर बन गया
मेरा धर्म सबसे बड़ा है ये सबको आशा है
जीवन की ये परिभाषा है
जीवन जीने की सबको आशा है/ चरन सिंह
तुम गंगा जल सी पावन हो
तुम जमुना जल सी मनभावन हो
तुम सबसे मुझको प्यारी हो
तुम मेरे इश्क की एक बीमारी हो
तुम चाँद से सुंदर लगती हो
तुम सूरज सा चमकती हो
तुमको न मैं पाना चाहूं
फिर भी तुम मुझको ही मिलती हो
तुम ख्वाब बानी मेरी नींदों में
तुम चैन मेरा तो छीना है
तुम पलको में मेरी आती हो
तुमने छीना मेरे जीना है
भेजी तुमने तसवीर जो अपनी
दिल में चुभन कर जाती है
हर पल मेरे सामने
तसवीर तुम्हारी ही आती हैं
मैं क्या करूँ मुझे ये पता नहीं
मैं क्या सोचूँ मुझे ये पता नहीं
मैं तुमको भुलाऊँ मुझे पता नही
ये प्यार है क्या मुझे पता नहीं
तुम पर कोई दाग न लग जाये
तुम पर कोई आँच न आ जाये
ये सोच के मैं फिर डरता हूँ
इजहार करू जो मैं तुमसे
कहि तू मुझसे रूठ न जाये
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मैं कभी आशिक़ न था
मैं कभी आशिक़ न थाआशिक़ बनाया आपने
मेरा दिल सिर्फ आपसे बातें करता था
दिल की धड़कन जगाया आपने
मुझे सिर्फ अपनी फिक्र थीं
आज तुम्हारी होती हैं
मुझ पर जादू चलाया आपने
उस दिन जब तुमने मुझसे इजहार किया
मेरा खाना पीना सोना सब छीन लिया
मेरी बेचैनी को जगाया आपने
मैं तुम्हें कुछ और मानता था
कुछ और मनाया आपने
अब कहती हो तुम खुश रहना
मुझसे अब न बातें करना
मेरी खुशियाँ छीना आपने
मैं कभी तुम्हें याद भी नही करता था
मेरी यादें जगाया आपने
मैं पहले गुमनाम सा था
मुझे मसहूर बनाया आपने
मैं तुमको फोन न करता था
पहले फोन लगाया आपने
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गुरु

गुरु है मार्गदर्शक,
गुरु है शिक्षा दाता,
गुरु हमारा भाग्यविधाता,
गुरु हमारा ईश्वर,
गुरु हमारा माता ,
जो सत मार्ग दिखाये,
वह गुरु है कहलाता!!
गुरु हमारा मित्र,
गुरु हमारा जीवन,
गुरु के चरणों मे,
हमारा जीवन अर्पण,
गुरु हमारा ईश्वर,
गुरु हमारी माता,
जो सत मार्ग दिखाये,
वह गुरु हैं कहलाता!!
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